۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा / इस आयत में, अल्लाह तआला ने क्रूरता और अपराध के परिणामों के बारे में एक सख्त वादा किया है, जो सामाजिक और नैतिक अपराधों से संबंधित है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم   बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम

وَمَنْ يَفْعَلْ ذَٰلِكَ عُدْوَانًا وَظُلْمًا فَسَوْفَ نُصْلِيهِ نَارًا ۚ وَكَانَ ذَٰلِكَ عَلَى اللَّهِ يَسِيرًا   वमय यफअल ज़ालेका उदवानन व ज़ुल़मन फ़सौफ़ा नुसलीहे नारन व काना जालेका अलल्लाहे यसीरा (नेसा 30)

अनुवाद: और जो कोई ज़्यादती और ज़ुल्म के नाम पर ऐसा काम करेगा, हम उसे जल्द ही जहन्नम में डाल देंगे, और यह अल्लाह के लिए बहुत आसान है।

विषय:

इस आयत में अल्लाह ने क्रूरता और अपराध के परिणामों के बारे में सख्त वादा किया है, जो सामाजिक और नैतिक अपराधों से संबंधित है।

पृष्ठभूमि:

यह श्लोक उस श्रृंखला का हिस्सा है जो सामाजिक नियमों और नैतिकता पर मार्गदर्शन प्रदान करता है। पवित्र कुरान में अन्यायपूर्ण हत्याओं और क्रूरता के अन्य कृत्यों की निंदा की गई है। इस आयत से पहले उन अपराधों का ज़िक्र किया गया है जिनमें अनाथों की संपत्ति छीनना, अन्याय करना और लोगों के अधिकारों को हड़पना शामिल है।

तफ़सीर:

"ज़ालेका उदवानोहुम": यहां, 'ज़ालेका' (यह) उन सभी कार्यों को संदर्भित करता है जिनका उल्लेख उपरोक्त छंदों में किया गया है, यानी गलत हत्या, आत्महत्या, अनाथों के अधिकारों को लूटना आदि। ये कार्य अल्लाह की दृष्टि में क्रूरता और अवज्ञा के बराबर हैं।

"फ़सौफ़ा नुसलीहे नारन": अल्लाह स्पष्ट रूप से कहता है कि इन कार्यों का अंत नरक की आग है। यह एक कठोर सज़ा है जिससे बचने के लिए विश्वास और पवित्रता की आवश्यकता होती है।

"व काना जालेका अलल्लाहे यसीरा": यहां अल्लाह कहता है कि ऐसे लोगों को सज़ा देना अल्लाह के लिए मुश्किल नहीं है। यानी हर किसी को उसके कर्मों के अनुसार बदला देना अल्लाह की शक्ति में है।

महत्वपूर्ण बिंदु:

1. क्रूरता और अवज्ञा का अंत: यह कविता उन लोगों के लिए एक कड़ी चेतावनी है जो क्रूरता करते हैं और सामाजिक नियमों को तोड़ते हैं।

2. अल्लाह का फैसला: अल्लाह के फैसले में किसी के लिए कोई अपवाद नहीं है, और गलत काम करने वालों को उनके कर्मों की पूरी सजा देना अल्लाह की शक्ति में है।

3. सामाजिक न्याय: इस्लाम ने सामाजिक न्याय बनाए रखने के लिए सख्त कानून बनाए हैं, ताकि समाज में शांति और व्यवस्था बनी रहे।

परिणाम:

यह आयत स्पष्ट संदेश देती है कि क्रूरता और अवज्ञा के कार्य अल्लाह की दृष्टि में बहुत गंभीर हैं और उनका अंत बहुत गंभीर है। सामाजिक और नैतिक अपराधों के लिए, अल्लाह ने नरक की आग तैयार की है, जो अवज्ञा करने वालों और दूसरों पर अत्याचार करने वालों के लिए एक सबक है। इसलिए लोगों को धर्मपरायणता अपनानी चाहिए और सामाजिक न्याय कायम करने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।

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तफसीर राहनुमा, सूर ए नेसा

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